Essay on sun in Hindi - सूर्य पर निबंध - सूर्य पूरी तरह गर्म चमकती हुई गैस का एक गोला है। इसकी उर्जा का श्रोत इसके बिल्कुल केंद्र में बहुत गहरे दबा हुआ है यहां लगातार एक आणिवक भट्ठी जैसी चलती रहती है और पदार्थ को शुद्ध ताप तथा रौशनी में बदलती रहती है।
किसी भी तारे से हल्का बड़ा सूर्य अपने वॉल्यूम में इतना विस्तृत है के यह 13 लाख पृथ्वियों को निगल सकता है। हमारे सौर मंडल में मौजूद सारे पदार्थ का 99.8 प्रतिशत इसी में है। इसके द्वारा पैदा की जाती गुरुत्वाकर्षण शक्ति सभी ग्रहों को एक ग्रह में बांधे रखती है जिससे वे इसके आस-पास स्थित भ्रमण कक्ष में घुमते रहते हैं पृथ्वी से देखने पर सूर्य जीवन को बनाये रखने वाली रौशनी तथा गर्मी का श्रोत है जो लगातार चमकता हुआ हमारी और देखता प्रतीत होता है। इसकी सतह में बड़े बड़े ज्वालमुखी फटते हैं जो बहुत ही खतरनाक गैसों को अन्तरिक्ष में छोड़ते हैं।
सूर्य का अंदरूनी भाग - वैज्ञानिकों ने सूर्य के अंदरूनी भाग को 3 विशिष्ट परतों में बांटा है कोर, रेडीएटिव जोन तथा कन्विक्ट ज़ोन ये तीनों परतें पूरी तरह से गैस से बनी हुई हैं। किन्तु जैसे जैसे सूर्य के केंद्र की तरफ जाया जाए तो यह गैसें अधिक गर्म तथा सघनी हो जाती हैं। कोर में यानि सूर्य के केंद्र में तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल सेल्सियस होता है और गैस यहां पानी से 150 गुना अधिक सघन होती हैं।
कोर - अत्यधिक गर्म तथा सघन कोर यानी सूर्य के केंद्र में न्यूक्लीयर फ्यूजन की प्रकिर्या उर्जा जारी करती है। प्रत्येक सेकंड में 620 मिलियन टन हाईट्रोजन को हीलियम में मिश्रित किया जाता है।
रेडीएटिव जोन - कोर के बाहर की ओर रेडीएटिव जोन है जो इतना सघन नहीं है के उसमें न्यूक्लियर फ्यूजन हो सके। कोर से उर्जा बहुत धीरे -धीर्र रिस कर इस परत तक पहुंचती है।
कन्वैकिटव जोन - कन्वैकिटव जोन में गर्म गैस के बड़े बुलबुले सतह पर उभरते हैं, ठंडे होते हैं और इसके बाद गिर जाते हैं जिससे सूर्य के केंद्र से उर्जा स्थानांतरित होकर इसके बाहरी हिस्से की और चली जाती है। सूर्य से पृथ्वी तक रौशनी तक पहुंचने में केवल 8 मिंट लगते हैं किन्तु सूर्य की कोर द्वारा उर्जा को इसकी सतह तक पहुँचने तथा रौशनी के तौर पर उभरने में एक लाख वर्ष का समय लग जाता है यह सफर बहुत धीमा है क्योंकि उर्जा को जज्ब करके अरबों -खरबों अणुओं द्वारा पुन: उत्सर्जित किया जाता है क्योंकि यह रेडीएटिव जोन की सघनता से गुजरता है।
घूमना - अन्तरिक्ष के सभी पिंडों की तरह सूर्य भी घूमता है पृथ्वी जो के एक कठोर वस्तु के तौर पर घूमती है के विपरीत सूर्य गैस की एक गेंद है जो विभिन्न स्थानों पर विभिन्न गतियों से घूमती है। सूर्य की भू: मध्य रेखा एक वार घूमने के लिए पृथ्वी के 25 दिन लेती है किन्तु इसका ध्रुवीय क्षेत्र एक चक्कर के लिए 34 दिन लेता है।
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किसी भी तारे से हल्का बड़ा सूर्य अपने वॉल्यूम में इतना विस्तृत है के यह 13 लाख पृथ्वियों को निगल सकता है। हमारे सौर मंडल में मौजूद सारे पदार्थ का 99.8 प्रतिशत इसी में है। इसके द्वारा पैदा की जाती गुरुत्वाकर्षण शक्ति सभी ग्रहों को एक ग्रह में बांधे रखती है जिससे वे इसके आस-पास स्थित भ्रमण कक्ष में घुमते रहते हैं पृथ्वी से देखने पर सूर्य जीवन को बनाये रखने वाली रौशनी तथा गर्मी का श्रोत है जो लगातार चमकता हुआ हमारी और देखता प्रतीत होता है। इसकी सतह में बड़े बड़े ज्वालमुखी फटते हैं जो बहुत ही खतरनाक गैसों को अन्तरिक्ष में छोड़ते हैं।
सूर्य का अंदरूनी भाग - वैज्ञानिकों ने सूर्य के अंदरूनी भाग को 3 विशिष्ट परतों में बांटा है कोर, रेडीएटिव जोन तथा कन्विक्ट ज़ोन ये तीनों परतें पूरी तरह से गैस से बनी हुई हैं। किन्तु जैसे जैसे सूर्य के केंद्र की तरफ जाया जाए तो यह गैसें अधिक गर्म तथा सघनी हो जाती हैं। कोर में यानि सूर्य के केंद्र में तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल सेल्सियस होता है और गैस यहां पानी से 150 गुना अधिक सघन होती हैं।
कोर - अत्यधिक गर्म तथा सघन कोर यानी सूर्य के केंद्र में न्यूक्लीयर फ्यूजन की प्रकिर्या उर्जा जारी करती है। प्रत्येक सेकंड में 620 मिलियन टन हाईट्रोजन को हीलियम में मिश्रित किया जाता है।
रेडीएटिव जोन - कोर के बाहर की ओर रेडीएटिव जोन है जो इतना सघन नहीं है के उसमें न्यूक्लियर फ्यूजन हो सके। कोर से उर्जा बहुत धीरे -धीर्र रिस कर इस परत तक पहुंचती है।
कन्वैकिटव जोन - कन्वैकिटव जोन में गर्म गैस के बड़े बुलबुले सतह पर उभरते हैं, ठंडे होते हैं और इसके बाद गिर जाते हैं जिससे सूर्य के केंद्र से उर्जा स्थानांतरित होकर इसके बाहरी हिस्से की और चली जाती है। सूर्य से पृथ्वी तक रौशनी तक पहुंचने में केवल 8 मिंट लगते हैं किन्तु सूर्य की कोर द्वारा उर्जा को इसकी सतह तक पहुँचने तथा रौशनी के तौर पर उभरने में एक लाख वर्ष का समय लग जाता है यह सफर बहुत धीमा है क्योंकि उर्जा को जज्ब करके अरबों -खरबों अणुओं द्वारा पुन: उत्सर्जित किया जाता है क्योंकि यह रेडीएटिव जोन की सघनता से गुजरता है।
घूमना - अन्तरिक्ष के सभी पिंडों की तरह सूर्य भी घूमता है पृथ्वी जो के एक कठोर वस्तु के तौर पर घूमती है के विपरीत सूर्य गैस की एक गेंद है जो विभिन्न स्थानों पर विभिन्न गतियों से घूमती है। सूर्य की भू: मध्य रेखा एक वार घूमने के लिए पृथ्वी के 25 दिन लेती है किन्तु इसका ध्रुवीय क्षेत्र एक चक्कर के लिए 34 दिन लेता है।
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