Paropkar Essay Hindi - विश्व भर में बहुत सारी प्रवृतियों के लोग रहते हैं इनमें से ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो कभी भी अपने हित के बारे न सोचकर सदैव भलाई के कार्य करते हैं। ऐसे लोगों को परोपकारी इंसान कहा जाता है।
परोपकारी शब्द दो शब्दों के स्मेल से बना है पर + उपकार मतलब के दूसरों का हित -साधन ऐसे काम जो अपने स्वार्थ के लिए न किया गया हो बल्कि दूसरों के हित के लिए किया गया हो वह परोपकारी की श्रेणी में आता है।
परोपकार ही मानव का सबसे बड़ा और प्रथम धर्म है जिस इंसान में परोपकार की भावना नहीं है वह इंसान कहलाने के योग्य नहीं होता है। परोपकारी इंसान समाज की उन्नति में एहम योगदान अदा करता है यह एक ऐसी भावना है जिसकी उत्पत्ति ह्रदय में प्रेम और करुना दिखाने से होती है।
अपने लिए तो हर कोई जीता है जब हम किसी और के लिए जीते हैं तभी हमें असली जिन्दगी का एहसास होता है इसीलिए समाज का असली हीरो वही है जो दूसरों के लिए जीता है।
मानव ही एक ऐसा प्राणी है जो परोपकारी की भावना दिखा सकता है किन्तु वह यदि इस गुण को त्याग दे तो इस संसार का भविष्य अन्धकार में समा जाएगा इस दुनिया से अच्छाई का नाम ही मिट जाएगा
एक परोपकारी इंसान कभी भी दूसरों को दुख नहीं देता उसका तन , मन और धन सदा दूसरों की सेवा करने में समर्पित रहता है संकट के समय किसी की मदद करना , भूखे को खाना देना , प्यासे को जल पिलाना आदि जैसे कार्य परोपकारी की श्रेणी में ही आते हैं इसीलिए हम सब का यह कर्तव्य बनता है के हम भी परोपकार की भावना को अपने दिलों में उत्पन्न करें क्योंकि इससे ही हमारा और हमारे समाज का कल्याण संभव है।
परोपकार से मिलने वाली ख़ुशी से जो आनंद मिलता है शायद ही दुनिया के किसी दुसरे कार्य को करने में मिलता हो एक परोपकारी इंसान को स्वार्थ की भावना से सदैव दूर रहना चाहिए क्योंकि स्वार्थ के लिए किया गया काम कभी भी परोपकार नहीं माना जाता है।
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परोपकार ही मानव का सबसे बड़ा और प्रथम धर्म है जिस इंसान में परोपकार की भावना नहीं है वह इंसान कहलाने के योग्य नहीं होता है। परोपकारी इंसान समाज की उन्नति में एहम योगदान अदा करता है यह एक ऐसी भावना है जिसकी उत्पत्ति ह्रदय में प्रेम और करुना दिखाने से होती है।
अपने लिए तो हर कोई जीता है जब हम किसी और के लिए जीते हैं तभी हमें असली जिन्दगी का एहसास होता है इसीलिए समाज का असली हीरो वही है जो दूसरों के लिए जीता है।
मानव ही एक ऐसा प्राणी है जो परोपकारी की भावना दिखा सकता है किन्तु वह यदि इस गुण को त्याग दे तो इस संसार का भविष्य अन्धकार में समा जाएगा इस दुनिया से अच्छाई का नाम ही मिट जाएगा
एक परोपकारी इंसान कभी भी दूसरों को दुख नहीं देता उसका तन , मन और धन सदा दूसरों की सेवा करने में समर्पित रहता है संकट के समय किसी की मदद करना , भूखे को खाना देना , प्यासे को जल पिलाना आदि जैसे कार्य परोपकारी की श्रेणी में ही आते हैं इसीलिए हम सब का यह कर्तव्य बनता है के हम भी परोपकार की भावना को अपने दिलों में उत्पन्न करें क्योंकि इससे ही हमारा और हमारे समाज का कल्याण संभव है।
परोपकार से मिलने वाली ख़ुशी से जो आनंद मिलता है शायद ही दुनिया के किसी दुसरे कार्य को करने में मिलता हो एक परोपकारी इंसान को स्वार्थ की भावना से सदैव दूर रहना चाहिए क्योंकि स्वार्थ के लिए किया गया काम कभी भी परोपकार नहीं माना जाता है।
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