Environment Protection essay in Hindi पर्यावरण संरक्षण पर निबंध
जीवन की परिभाषा में मनुष्य और पशु –पक्षियों, कीट -पतंगों के साथ-साथ पेड़-पौधों को भी रखा गया। यह भी बीज अंकुरण, पौधे, वृक्ष के आकार में उसी प्रकार जन्म और मृत्यु से बंधे हैं जिस प्रकार अन्य जीव प्राणी है और कुदरत के कानून के अनुसार अन्य चराचर जीवों की भांति एक दूसरे के साथ सहयोग बनाए रखते हैं।अंतर केवल इतना है की यह केवल एक ही स्थान पर अंकुरित और पुष्पित होते हैं जबकि अन्य जीव अपनी प्रकृति के अनुसार आवागमन कर सकते हैं एक दूसरे के पूरक भी हैं एक फल फूल से लेकर छाया और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करता है तो दूसरा उनकी सेवा करता है यदि दोनों एक दूसरे के विनाश का कारण बनते हैं तो यह सीधे-सीधे कुदरत के कानून का उल्लंघन है और उसके भयानक परिणामों के रूप में दंड मिलना स्वाभाविक है।
स्वतंत्र भारत में इसे दोहराने की जरूरत पड़ी और वह भी महिला शक्ति की पहल से क्योंकि पेड़ों के कटने से सबसे ज्यादा परेशानी उन्हें ही उठानी पड़ती है चिपको आंदोलन के लिए सुंदरलाल बहुगुणा को उनकी पत्नी विमला बहुगुणा से ही प्रेरणा मिली और इस का सूत्रपात महिलाओं द्वारा पेड़ों से चिपका कर करने से हुआ था के पहला बार उन पर ही हो।
पेड़ों की कटाई का असर : save environment essay in Hindi
जब हम यह जानते हैं कि पेड़ काटने से उपजाऊ मिट्टी बह जाती है चटाने टूट कर गिरने लगती है नदियों के रौद्र रूप से बाढ़, खेत, घर, बस्तियां और शहर नष्ट हो जाते हैं जल स्रोत सूख जाते हैं और इस संपदा से होने वाले लाभ से हम वंचित हो जाते हैं तो फिर केवल धन के लिए वन विनाश क्यों करते हैं यह समझ से परे है पेड़ों की आयु मनुष्य से कहीं अधिक होती है तो क्या शहर बसाने की योजना इस प्रकार नहीं बनानी चाहिए कि पेड़ों को काटने की नौबत ना आए ऐसा होता है तो पेड़ काटने के बाद नए पौधे लगाने का बहाना बनाने की जरूरत नहीं रहेगी।एक उदाहरण है यूरोप के शहरों का विकास पेड़ों को बचाकर किया जाता है इसलिए वहां पर जंगल एवं पेड़ सुरक्षित रह जाते हैं जबकि भारत में शहर बसाने और विकास करने का काम नौजवान पेड़ों की बलि देकर किया जाता है यही कारण है कि यूरोपीय देश इतने विकसित और खुशहाल हैं वहां खेती-बाड़ी और वन संरक्षण का काम एक साथ होता है तो मौसम भी उनके अनुरूप रहता है।
भविष्य की आहट :
पर्यावरण और वन संरक्षण के प्रति कारगर उपाय ना करने का परिणाम हम भुगत रहे हैं जनसंख्या विस्फोट के दुष्परिणामों से बचने का उपाय वन विकास और पौधारोपण में है यदि नीतियां सही ना बनाई गई तू चिपको जैसे आंदोलनों की शुरुआत, साफ पानी के लिए, उर्जा पूर्ति के लिए और प्लास्टिक के जैसी चीजों का रीसाइक्लिंग करने के लिए करने का वक्त आ चुका है इससे पहले कि यह आंदोलन हो अगर सरकार सुधार कर लें तो बेहतर होगा वरना संघर्ष के अतिरिक्त और कोई उपाय बचता नहीं है।
"Environment Protection essay in 600 words"
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