Short essay on Chhatrapati Shivaji in Hindi - शिवाजी के पिता का नाम शाहजी और माता का नाम जीजाबाई था। शाहजी बीजापुर के बादशाह के एक प्रमुख राजकर्मचारी थे और चाहते थे कि उनका पुत्र शिवाजी श्री बीजापूर के बादशाह का कृपापात्र बने, परन्तु शिवाजी पर उनकी माता जीजाबाई तथा उनके शिक्षक दादाजी कोणदेव का प्रभाव अधिक पड़ा।
शिवाजी पर निबन्धतीसरा प्रभाव जो शिवाजी पर विशेष पडा. वह उनके धार्मिक गुरु सन्त समर्थ रामदास का था। परिणाम यह हुआ कि शाहजी तो बीजापुर के बादशाह के आश्रित रहे और शिवाजी स्वतन्त्र हो गए। शिवाजी को बड़े अच्छे-अच्छे सहायक मिलते गए; जनता ने साथ दिया, सिपाही भर्ती होने लगे, घोडे-हाथी भी मिल गए, अस्त्र-शस्त्र प्रचुर परिमाण में इकट्ठे हो गए। अब शिवाजी की सेना ने बीजापुर के आश्रित किलों पर धावे मारने शुरू किये। कुछ ही वर्षों में शिवाजी की सेना ने वीजापुर की बादशाहत के अनेक किलों तथा अन्यान्य स्थानों पर अधिकार कर लिया। दक्षिण में शिवाजी का एक स्वतन्त्र मराठा राज्य स्थापित हो गया।
शिवाजी की इन विजयों से क्रुद्ध होकर बीजापुर के बादशाह ने अफजलखाँ नाम के एक सेनापति के साथ बड़ी भारी सेना शिवाजी मे यन करने के लिए भेजी। दोनों ओर से राजनीतिक दांव-पेच खेले जाने लगे। यह निश्चय हआ कि प्रताप दुर्ग के पास एक तम्ब में शिवाजी और अफजलखा की भेंट हो जाय। इस भेंट में शिवाजी ने बघनखा अस्त्र से अफजलखां को मार डाला। मौका ताककर मराठों ने भी उसी समय असावधान शत्रु सेना पर भयंकर आक्रमण कर दिया। शिवाजी की जीत हुई इस विजय में हजारों घोड़े, हाथी औरधन-दौलताशवा जी को मिली
दिल्ली में औरंगजेब का राज्य था। फिर औरंगजेन शिवाजी की टक्कर हुई। शाइस्ताखाँ, औरंगजेब का एक पर सेनापति था और महाराजा जसवन्तसिंह के साथ दक्षिण शिवाजी से लड़ने को भेजा गया था। उसने आकर शिवाजी का प्रमुख नगर पूना छीन लिया। कुछ ही दिनों बाद शिवाजी ने अपने विश्वासपात्र साथियों के साथ रात के समय चपके से पूना के उसी महल पर आक्रमण कर दिया, जहाँ शाइस्ताखाँ सपरिवार सो रहा था। शिवाजी की बड़ी भारी विजय हुई। शाइस्ताखाँ भाग निकला। उसकी उँगलियाँ कट गयीं।
राजनीतिक चक्र कुछ ऐसा घूमा कि शिवाजी ने एक सन्धि के आधार पर आगरा आकर औरंगजेब से मिलना स्वीकार कर लिया। इस भेंट में शिवाजी का उचित सम्मान न किया गया। बाद में औरंगजेब ने उन्हें एक मकान में कैद कर लिया। परन्तु शिवाजी सब पहरेदारों की आँखों में धूल झोंककर और बादशाह औरंगजेब को भी धोखा देकर मिठाई के टोकरे में बैठकर भाग निकले।
कई महीनों के बाद शिवाजी अपने राज्य में पहँचे। अब शिवाजी की सेना बलिष्ठ हो गई। दक्षिण में कोई उनका मुकाबला पूरी तरह न कर सका। बीजापुर तथा दिल्ली के बादशाहों के कई अन्य स्थानों को शिवाजी ने लट लिया। इनमें से सूरत की लूट बहुत प्रसिद्ध है। सूरत में शिवाजी को अपार धन-सम्पत्ति मिली। अब रायगढ़ दुर्ग को अपनी राजधानी बनाकर शिवाजी स्वतन्त्र राज्य करने लगे।
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