दृढ़ संकल्प क्या है ? प्रत्येक व्यक्ति सुख समृद्धि चाहता है तथा सुखमय जीवन की कामना करता है, लेकिन यह सब उसके उत्तम विचारों से ही संभव है। वेदों में भी कहा गया है कि हमारा मन सदैव शुभ संकल्पों वाला बने
संकल्प शक्ति - ऐसी ही उदात्त संकल्प शक्ति विश्व बंधुत्व की भावना को सुदृढ़ बनाती है इसीलिए हमारे मन में जो भी अशुभ विचार हैं उन्हें अपनी संकल्प शक्ति के सहारे मन से बाहर निकाल देने चाहिए तथा बदले में शुभ विचारों को ही मन में धारण करना चाहिए जिससे जहां विश्व बंधुत्व की भावना का विकास होगा वही हमें अपरिमित मानसिक शक्ति की भी प्राप्ति होगी।
दृढ निश्चय - हमारी संकल्प शक्ति के साथ ही हमारे आसपास का वातावरण भी उसी के अनुरूप निर्मित होने लगता है यही नहीं हमें वैसे ही मित्र भी मिल जाते हैं तथा वैसे ही साधन इकट्ठे हो जाते हैं यदि हम निरंतर यह सोचते रहे कि मैं सत्य पुरुष बनूंगा तो हमारे गुण कर्म और स्वभाव वैसे ही बनने लगेंगे और 1 दिन ऐसा आएगा कि हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर लेंगे किंतु ऐसे चिंतन के साथ आत्मविश्वास और क्रियाशीलता की भी अत्यंत जरूरत होती है इसके बिना अभीष्ट कि सिद्धि नहीं हो सकती।
शुभ संकल्प शक्ति से संपन्न व्यक्ति कभी भी विषम परिस्थितियों में घबराता नहीं अपितु कठिनाइयों के होते हुए भी वह निरंतर आगे बढ़ता ही जाता है। फलत प्रतिकूलताएं अनुकूलताओ मैं बदल जाती है और उसे दिशा में निरंतर प्रगति होने लगती है जैसे दिशा को मनुष्य ने अपने लिए चुना है यदि हम विचारों के महत्व को भली-भांति समझने तथा पूर्ण आत्मविश्वास और संकल्प शक्ति के साथ उन विचारों को कार्य रूप में परिणत करना प्रारंभ कर दें तो हमारी प्रगति के मार्ग अपने आप हो जाएंगे तथा आनंद की विचारधारा हमारी ह्रदय में बहुत सा सृजन करने लगेगी।
हमारा जीवन हंसी खुशी का जीवन है इसलिए हमें प्रत्येक क्षण प्रफुल्लित और प्रसन्न निश्चित रहना चाहिए विचार और कार्य परस्पर अटूट रूप से सबंध्द है। अतः हमें कार्यकरने से पूर्व अच्छी तरह सोच विचार लेना चाहिए सुविचारित कर्मों के सहयोग से ही जीवन में सफलता मिलती है जीवन में जब हमारी विचारधारा दृढ़ होती है तो हमारे मुख पर आनंद की ऐसी रेखाएं उभर आती है जो हमें दोगुने उत्साह के साथ कार्य में सलग्न कर देती है विचारों में दृढ़ता से ही परिस्थितियां भी अनुकूल हो जाती है तथा सारे साधन खुद सुलभ हो जाते हैं जो हमें सफलता के शिखर पर पहुंचाने से नहीं चूकते संकल्प शक्ति ही मन को एकाग्र करके विचारों को मस्तिष्क की ओर भेजती है इसलिए हमें जैसा बनना हो वैसे ही विचार पूर्ण आत्मविश्वास के साथ अपने मन में उत्पन्न करने चाहिए।
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"तन्मे मन: शुभसंकल्पमस्तु"
अतः हमारा कर्तव्य है कि हम संपूर्ण जीवन की भलाई के लिए प्रबल संकल्प शक्ति के साथ निभाना प्रार्थना करें
"सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया"
अर्थात संपूर्ण जीवन को सुख प्राप्त हो सभी प्राणी निरोग रहे सबका कल्याण हो तथा किसी को कभी कोई दुख ना पहुंचे।संकल्प शक्ति - ऐसी ही उदात्त संकल्प शक्ति विश्व बंधुत्व की भावना को सुदृढ़ बनाती है इसीलिए हमारे मन में जो भी अशुभ विचार हैं उन्हें अपनी संकल्प शक्ति के सहारे मन से बाहर निकाल देने चाहिए तथा बदले में शुभ विचारों को ही मन में धारण करना चाहिए जिससे जहां विश्व बंधुत्व की भावना का विकास होगा वही हमें अपरिमित मानसिक शक्ति की भी प्राप्ति होगी।
दृढ निश्चय - हमारी संकल्प शक्ति के साथ ही हमारे आसपास का वातावरण भी उसी के अनुरूप निर्मित होने लगता है यही नहीं हमें वैसे ही मित्र भी मिल जाते हैं तथा वैसे ही साधन इकट्ठे हो जाते हैं यदि हम निरंतर यह सोचते रहे कि मैं सत्य पुरुष बनूंगा तो हमारे गुण कर्म और स्वभाव वैसे ही बनने लगेंगे और 1 दिन ऐसा आएगा कि हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर लेंगे किंतु ऐसे चिंतन के साथ आत्मविश्वास और क्रियाशीलता की भी अत्यंत जरूरत होती है इसके बिना अभीष्ट कि सिद्धि नहीं हो सकती।
शुभ संकल्प शक्ति से संपन्न व्यक्ति कभी भी विषम परिस्थितियों में घबराता नहीं अपितु कठिनाइयों के होते हुए भी वह निरंतर आगे बढ़ता ही जाता है। फलत प्रतिकूलताएं अनुकूलताओ मैं बदल जाती है और उसे दिशा में निरंतर प्रगति होने लगती है जैसे दिशा को मनुष्य ने अपने लिए चुना है यदि हम विचारों के महत्व को भली-भांति समझने तथा पूर्ण आत्मविश्वास और संकल्प शक्ति के साथ उन विचारों को कार्य रूप में परिणत करना प्रारंभ कर दें तो हमारी प्रगति के मार्ग अपने आप हो जाएंगे तथा आनंद की विचारधारा हमारी ह्रदय में बहुत सा सृजन करने लगेगी।
हमारा जीवन हंसी खुशी का जीवन है इसलिए हमें प्रत्येक क्षण प्रफुल्लित और प्रसन्न निश्चित रहना चाहिए विचार और कार्य परस्पर अटूट रूप से सबंध्द है। अतः हमें कार्यकरने से पूर्व अच्छी तरह सोच विचार लेना चाहिए सुविचारित कर्मों के सहयोग से ही जीवन में सफलता मिलती है जीवन में जब हमारी विचारधारा दृढ़ होती है तो हमारे मुख पर आनंद की ऐसी रेखाएं उभर आती है जो हमें दोगुने उत्साह के साथ कार्य में सलग्न कर देती है विचारों में दृढ़ता से ही परिस्थितियां भी अनुकूल हो जाती है तथा सारे साधन खुद सुलभ हो जाते हैं जो हमें सफलता के शिखर पर पहुंचाने से नहीं चूकते संकल्प शक्ति ही मन को एकाग्र करके विचारों को मस्तिष्क की ओर भेजती है इसलिए हमें जैसा बनना हो वैसे ही विचार पूर्ण आत्मविश्वास के साथ अपने मन में उत्पन्न करने चाहिए।
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