Essay on Flood in Hindi -प्रकृति भी अजीब खेल खेलती है कभी कहीं सूखा पड़ जाता है तो कभी भीषण बाढ़ के चलते तबाही और विनाश होता है। मानव सदैव कुदरत के साथ संघर्ष करता आया है।
बाढ़ का प्रकोप जान -माल आदि सब को अपनी चपेट में ले लेती है हर तरफ जल ही जल दिखाई देता है। भारत में अनेक नदियाँ बहती हैं ज्यादा वर्षा होने पर इन्ही नदियों में उफान आ जाता है इनके पानी का स्तर बढ़ जाता है उनका बहाव सीमाएं तोड़कर आगे निकल जाता है जिससे बाढ़ आती है।
मेरे दिल में भी एक बाढ़ का दृश्य आता है कई दिनों की तेज़ वर्षा के कारण सडकें पूरी तरह से पानी में डूब गयी थी मानो जल का सैलाब ही उमड़ पड़ा हो यातायात के साधनों का आना जाना बंद हो गया था गंगा नदी का पानी अपने उफान पर था नजदीक के सभी गांवों और शहरों में बाढ़ का खतरा पूरी तरह मंडरा रहा था।
किसानों के खेतों में पानी ही पानी दिखाई दे रहा था और उनकी फसलें भी बिल्कुल डूब चुकी थीं। समाचारों में खेतों , मकानों और घरों में पानी के घुसने की खबरें लगातार आ रहीं थी। बिलजी बिल्कुल ही ठप हो गयी थी बिजली के खंभे भी गिर गए थे तारें टूट चुकी थी। बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।
यहां तक नजर मारते वहां पानी ही पानी दिखाई दे रहा था हरे भरे खेतों को जल ने ने घेर लिया था लोगों का कीमती समान पानी में बहता हुआ नजर आ रहा था लोग अपने घरों की छतों पर डेरा जमाए हुए थे वह अपनी सहायता के लिए पुकार रहे थे किसी भी चीज़ का अनुमान लगाना मुश्किल था के कौनसी चीज़ कहां है।
भूख और प्यास से लोग बुरी तरह से बेहाल थे पानी का यह जल सेलाब देखकर मेरा ह्रदय दहल उठा इतना भयानक दृश्य मेने पहले कभी नहीं देखा था। अंत कुछ राहत की साहस मिली जब सरकार द्वारा मदद की खबर सुनी इसके बाद हेलिकॉप्टरों के द्वारा घर घर में खाने के पैक्ट गिराए गए।
बहुत सारे फौजी लोगों की मदद के लिए पहुंच चुके थे वह पानी में फंसे लोगों को नाव के द्वारा बाहर निकाल रहे थे। धीरे धीरे पानी का स्तर भी कम हो रहा था क्योंकि अब बारिश भी पहले से कम हो रही थी।
बाढ़ के इस कहर से फसलें बुरी तरह बर्बाद हो चुकी थी इस भीषण बाढ़ ने सडकों , पुलों और बिजली के खंभे बहुत नुकसान पहुँचाया था। चारों तरफ कीचड़ ही कीचड़ हो चुका था लोगों का बहुत सारा समान और जानवर इस बाढ़ की सैलाव में डूब चुके थे। बहुत सारे पेड़ इस बाढ़ के कहर से गिर गए थे।
बाढ़ का पानी कुछ दिनों में पूरी तरह से सूख गया लोग अपने घरों की तलाश और अपने सामान को इकट्ठा करने में जुटे हुए थे सरकारी कैंप लागए गए थे ता जो घायल लोगों का इलाज किया जा सके। इस भयानक बाढ़ के कारण कई बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ चुका था।
बाढ़ के इस कहर से निपटने के लिए सरकार को कोई ठोस कदम उठाने चाहिए ता जो हर वर्ष बाढ़ से होने वाले जान और माल के नुकसान से बचा जा सके।
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बाढ़ का प्रकोप जान -माल आदि सब को अपनी चपेट में ले लेती है हर तरफ जल ही जल दिखाई देता है। भारत में अनेक नदियाँ बहती हैं ज्यादा वर्षा होने पर इन्ही नदियों में उफान आ जाता है इनके पानी का स्तर बढ़ जाता है उनका बहाव सीमाएं तोड़कर आगे निकल जाता है जिससे बाढ़ आती है।
मेरे दिल में भी एक बाढ़ का दृश्य आता है कई दिनों की तेज़ वर्षा के कारण सडकें पूरी तरह से पानी में डूब गयी थी मानो जल का सैलाब ही उमड़ पड़ा हो यातायात के साधनों का आना जाना बंद हो गया था गंगा नदी का पानी अपने उफान पर था नजदीक के सभी गांवों और शहरों में बाढ़ का खतरा पूरी तरह मंडरा रहा था।
किसानों के खेतों में पानी ही पानी दिखाई दे रहा था और उनकी फसलें भी बिल्कुल डूब चुकी थीं। समाचारों में खेतों , मकानों और घरों में पानी के घुसने की खबरें लगातार आ रहीं थी। बिलजी बिल्कुल ही ठप हो गयी थी बिजली के खंभे भी गिर गए थे तारें टूट चुकी थी। बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।
यहां तक नजर मारते वहां पानी ही पानी दिखाई दे रहा था हरे भरे खेतों को जल ने ने घेर लिया था लोगों का कीमती समान पानी में बहता हुआ नजर आ रहा था लोग अपने घरों की छतों पर डेरा जमाए हुए थे वह अपनी सहायता के लिए पुकार रहे थे किसी भी चीज़ का अनुमान लगाना मुश्किल था के कौनसी चीज़ कहां है।
भूख और प्यास से लोग बुरी तरह से बेहाल थे पानी का यह जल सेलाब देखकर मेरा ह्रदय दहल उठा इतना भयानक दृश्य मेने पहले कभी नहीं देखा था। अंत कुछ राहत की साहस मिली जब सरकार द्वारा मदद की खबर सुनी इसके बाद हेलिकॉप्टरों के द्वारा घर घर में खाने के पैक्ट गिराए गए।
बहुत सारे फौजी लोगों की मदद के लिए पहुंच चुके थे वह पानी में फंसे लोगों को नाव के द्वारा बाहर निकाल रहे थे। धीरे धीरे पानी का स्तर भी कम हो रहा था क्योंकि अब बारिश भी पहले से कम हो रही थी।
बाढ़ के इस कहर से फसलें बुरी तरह बर्बाद हो चुकी थी इस भीषण बाढ़ ने सडकों , पुलों और बिजली के खंभे बहुत नुकसान पहुँचाया था। चारों तरफ कीचड़ ही कीचड़ हो चुका था लोगों का बहुत सारा समान और जानवर इस बाढ़ की सैलाव में डूब चुके थे। बहुत सारे पेड़ इस बाढ़ के कहर से गिर गए थे।
बाढ़ का पानी कुछ दिनों में पूरी तरह से सूख गया लोग अपने घरों की तलाश और अपने सामान को इकट्ठा करने में जुटे हुए थे सरकारी कैंप लागए गए थे ता जो घायल लोगों का इलाज किया जा सके। इस भयानक बाढ़ के कारण कई बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ चुका था।
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