Essay on Sparrow in Hindi - चिड़िया पर निबंध
गौरया पक्षी को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है तमिल और मलयालम में इसे कुरुवि, तेलुगू में पिच्युका , कन्नड़ में गुब्बाची गुजराती में चकली बंगला में चराई पाखी गुड़िया में घर चिट्टियां सिंधी में थिरकीं उर्दू में चिड़िया और कश्मीरी में चेर कहा जाता है। कहीं-कहीं पर इसे गुडरिया ग्रेलिया आदि नामों से भी जाना जाता है। गौरया सामान्य रूप से घरों में घोसले बनाती है देर- सबेर चिड़िया के जोड़े वहां रहने के लिए पहुंच जाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है।
आज बदलते परिवेश में घरों का स्थान गगनचुंबी इमारतों ने ले लिया है आधुनिक का स्थापत्य की बहुमंजिला इमारतों में गोरिया के रहने की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि इमारतों में आंगन नहीं है जहां गोरिया खेल सके फुदक सके बच्चों को लुभा सके दाना चुग सके पहले के समय का स्थापत्य ही ऐसा था कि उसमें चिड़िया के लिए भी जगह बनाई जाती थी झरोखे होते थे जिस मैं चिड़िया घर मैं आ सकती थी आले होते थे जिसमें वह घोंसला बना सकती थी।
अब हमारे घरों के निर्माण में काफी बदलाव आ चुका है वर्तमान में सीमेंट के घरों के बनने से काफी नुकसान हुआ है चारों तरफ से घिरे हुए सीमेंट के घरों के कारण आप चिड़िया को खेलने और नहाने के लिए धूल व रेत नहीं मिलती यह चिड़िया दूर रेत में ना सिर्फ खेलती है बल्कि नहाती है इसे सेंडबाथ कहते हैं। आधुनिक तकनीकी ने भी गौरया के प्राण संकट में डाले हैं जैसे मोबाइल टावरों से निकलने वाली तरंगे रेडिएशन इन चिड़ियों के लिए बहुत खतरनाक है यह तिरंगे गोरिया की दिशा खोजने वाली प्रणाली और उनकी प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालती है।
हमारी जीवन शैली का एक और बदलाव है जिसने इन चिड़ियों को हमसे दूर किया है पहले के समय में परचून की दुकान की दुकाने हुआ करती थी उनमें गेहूं की बोरियां होती थी चिड़िया आकर उनमें बैठती थी और अनाज के दाने चुगती थी।
ज्यादा तापमान इस चिड़िया के लिए जानलेवा साबित होता है वर्तमान समय में देखा गया है कि प्रदूषण, कटते पेड़ आदि के कारण शहरों का तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा है इन कारणों से चिड़िया का भोजन और घोंसलों की तलाश में शहरों से पलायन कर रही है लेकिन ग्रामीण इलाकों मैं भी इन्हें चैन नहीं मिल पा रहा क्योंकि गांव भी अब तेजी से शहरों के रंग ढंग अपना रहे हैं। चिड़िया बच सके, इसके लिए हर वर्ष गौरया दिवस मनाया जाता है इस दिन को मनाने का उद्देश्य यही है कि लोगों में इस प्यारी सी चिड़िया की जान बचाने के प्रति जागरूकता बढ़ सके गोरिया को बचाने के लिए बिहार में से राजकीय पक्षी घोषित कर दिया गया है ताकि इसके संरक्षण पर सब का ध्यान हो इसका सरंक्षण संभव हो सके।
आज चिड़िया को बचाने के लिए व्यक्तिगत सत्र पर क्या प्रयास किए जा सकते हैं इन पर विचार करने की जरूरत है कम से कम इन पक्षियों के लिए पानी का इंतजाम तो किया जा सकता है इसके लिए खिड़की पर या बालकनी में एक मिट्टी के बर्तन में थोड़ा पानी और प्लेट में इनके चुगने के लिए दाना रखा जा सकता है दूसरा एक काम जो भी किया जा सकता है कि आजकल चिड़ियों के घर बाजार में बिक रहे हैं अगर इन्हें लेकर घर के बाहर लटका दे तो चिड़िया को रहने और घर बनाने के लिए जगह मिल सकती है दाना पानी की व्यवस्था भी उसमें सहज की जा सकती है इसके अलावा चिड़िया को बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा भारतीय पेड़ पौधों को लगाने की जरूरत है आजकल ज्यादातर लोग कृत्रिम पौधे और विदेशी पेड़ लगाने का शौक पाल रहे हैं हमारे भारतीय पक्षियों के लिए इन पेड़ पौधों के कोई मायने नहीं है क्योंकि वह इन पर अपना घोंसला नहीं बना पाते मेहंदी जैसे पेड़ गोरिया के लिए जरूरी है उस में पड़ने वाले कीड़े मकोड़े उसका भोजन है तथा फसल में पाए जाने वाले कीड़ों को खत्म करने में भी अहम योगदान होता है लेकिन फसल पर कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल करने से भी इनकी संख्या में कमी आई है।
यदि समय रहते इस सुंदर पक्षी के संरक्षण के उपाय नहीं किए गए तो वह दिन दूर नहीं होगा जब उनकी चहचाहट हमारी जिंदगी से बहुत दूर चली जाएगी पक्षी वैज्ञानिकों के अनुसार गोरिया को फिर से बुलाने के लिए लोगों को अपने घरों में कुछ ऐसे स्थान उपलब्ध कराने चाहिए जहां वह आसानी से अपने घोंसले बना सके और उनके अंडे तथा बच्चे हमलावर पक्षियों से सुरक्षित रह सके इसलिए आज से ही इनके संरक्षण के लिए कुछ ना कुछ उपाय किए जाने चाहिए।
Sparrow information in Hindi
भोजन - चिड़िया किसानों के लिए काफी फायदेमंद पक्षी होता है क्योंकि यह खेतों में पाए जाने वाले कीट पतंगों को खा जाती है। इसके अलावा इसका मुख्य आहार बीज और अनाज होता है। चिड़िया चीं -चीं की मधुर आवाज से सबको मधुर कर देती है। यह पक्षी भोजन की तलाश में दिन भर कई किलोमीटर तक का सफर तय कर लेती है। कई शिकारी जानवर इसके शत्रु होते हैं जैसे बिल्ली , बाज और उल्लू आदि। चिड़िया जिसे गौरैया के नाम से भी जाना जाता है। यह 5 या 6 अंडे देती है जिसमें से बच्चे निकलते हैं। इनके बच्चों को कई बार दूसरे पक्षी मार डालते हैं।इस चिड़िया की गिनती में लगातार कमी देखने को मिल रही है जिसकी सबसे बड़ी वजह मानव विकास माना गया है। इस चिड़िया की लंबाई 14 सेंटीमीटर से लेकर 16 सेंटीमीटर तक होती है। इस चिड़िया का वजन 30 ग्राम से लेकर 40 ग्राम तक होता है। यह ज्यादातर झुंड में रहती है। जे 1 दिन में कई मील की दूरी तय कर लेती है।
चिड़िया को अंग्रेजी में पासर डोमेस्टिकस के नाम से पुकारा जाता है। इसकी बहुत सारी प्रजातियां पाई जाती है। इस चिड़िया की एक खूबी है कि जह है कि यह मानव की सबसे करीबी मित्र रही है।
बढ़ती हुई जनसंख्या की वजह से जंगलों का सफाया होता जा रहा है ग्रामीण क्षेत्रों में पेड़ों को काटा जा रहा है जिसका सीधा साधा असर इन पक्षियों पर दिख रहा है। गांवों में भी अब पक्के मकान बनते जा रहे हैं जिस कारण इस चिड़िया को अपना घर बनाने के लिए सुरक्षित स्थान नहीं मिल पाता। इसके अलावा शहरों और गांवों में लगने वाले मोबाइल टावर इसके लिए खतरा उत्पन्न कर रहे हैं टावरों से निकलने वाला रेडिएशन इसकी प्रजनन शक्ति पर घातक असर डालता है। फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुंआ इसकी जिंदगी के लिए सबसे बड़ा खतरा उत्पन्न कर रहा है इसके अलावा उद्योगों की स्थापना और पर्यावरण प्रदूषण इसको अपनी चपेट में ले रहा है।
ऐसे में वक्त रहते यदि इस पक्षी पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह दिन दूर नहीं होगा जब अन्य पक्षियों की तरह यह चिड़िया भी इतिहास बनकर रह जाएगी जो हमें सिर्फ किताबों के पन्नों जा इंटरनेट पर इसकी फोटोज देखने को ही मिलेगी इसको सिर्फ मानव ही बचा सकता है इसके लिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा।
चिड़िया पर निबंध
घर के आंगन मे फुदक - फुदक के उड़ने वाली चिड़िया आज ना जाने कहां खो गई। इनके विलुप्त होने की मुख्य वजह मोबाइल फोन, खेतों पर कीटनाशकों का प्रयोग पक्के घर आदि को ठहराया जा रहा है। पुराने समय में से 8 से 10 के झुंड में देखा जा सकता था किंतु अब तो जो दुर्लभ सी हो गई है।
इस चिड़िया का अस्तित्व खतरे में देखते हुए दुनिया भर में हर वर्ष बीस मार्च को वर्ल्ड स्पैरो डे मनाया जाता है। इस अभियान के चलने के पश्चात इस पर मंडराते हुए खतरे को देखते हुए सन 2012 में घरेलू चिड़िया को दिल्ली का और सन 2013 में बिहार का राज्य पक्षी घोषित किया गया।
गौरैया एक छोटे आकार का पक्षी होता है जिसकी औसतन लंबाई 16 सेंटीमीटर जब के भजन में यह 40 ग्राम तक हो सकती है। वैज्ञानिकों की मानें तो संसार भर में चिड़िया की 20 से भी ज्यादा प्रजातियां मिलती है किंतु कुछ वर्षों के दौरान इनकी बहुत सारी प्रजातियों में 60 से भी ज्यादा फ़ीसदी की कमी आई है। इस चिड़िया का रंग स्लेटी होता है गर्दन पर काली पट्टी होती है इसके अलावा इनके पूरे शरीर पर हल्के भूरे रंग की पट्टीयां होती है।
यह चिड़िया 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकती है। किंतु खतरा महसूस होने पर जो इससे भी ज्यादा तेज गति से उड़ सकती है।
चिड़िया का भोजन - इस चिड़िया का बसेरा ज्यादातर घरों में होने के कारण यह रोटी के टुकड़े जा अनाज के दाने खाती है किंतु घरों से बाहर रहने वाली चिड़िया कीड़े मकोड़ों को भी चट कर जाती है जिस कारण इसे सर्वाहारी पक्षी भी कहा जा सकता है।
गौरैया अपना घोंसला घरों की छतों और आलों आदि में बनाती है। घोंसला बनाने की जिम्मेदारी और चिड़िया की होती है और वह घोंसला बनाते वक्त मादा चिड़िया को आकर्षित करता है और उसे अपने घोंसले में रहने के लिए उत्साहित करता है। प्रजनन काल के दौरान नर और मादा दोनों इकट्ठे रहते हैं। हर साल ये चार से छह अंडे देती है अंडों में से लगभग 15 दिनों के पश्चात बच्चों का जन्म होता है। नर और मादा दोनों मिलकर बच्चों का ख्याल रखते हैं। बच्चों के जन्म के 15 दिनों के पश्चात बच्चे उड़ने के काबिल हो जाते हैं।
घरेलू चिड़िया का जीवन काल 8 से 10 वर्ष तक का होता है किंतु जंगल में पाई जाने वाली चिड़िया औसतन 4 से 5 वर्ष तक ही जीवित रह सकती है। चिड़िया को पानी बेहद पसंद होता है अक्सर इसे पानी में डुबकी लगाते हुए देखा जा सकता है। पानी में डुबकी लगाने के पश्चात यह अपने पूरे शरीर को झटका देती है। जिससे शरीर का पूरा पानी निचोड़ जाता है। यह चिड़िया जमीन पर चलने की बजाय उछलते कूदते हुई जाती है।
बिल्ली और कुत्ता इस चिड़िया के सबसे बड़े शत्रु है इन जानवरों से इसे खतरा बना रहता है।
उड़ने की क्षमता - गौरैया के उड़ने की क्षमता काफी ज्यादा होती है। पहाड़ी चिड़िया घरेलू चिड़िया से ज्यादा दूरी पर उड़ सकती है पहाड़ी चिड़िया आसमान में 8 से 10 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकती है।
चिड़िया का वैज्ञानिक नाम - पेसर डोमेस्टिककस , कश्मीर में चेयर बंगाल में चराई पाखी गुजरात में चकरी कन्नड़ में गुबाची पंजाब में चिरी या चिड़िया के नामों से पुकारा जाता है।
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