Essay on Student and Discipline - शिक्षा मनुष्य के जीवन को संभारती है इसीलिए एक विद्यार्थी के जीवन में शिक्षा का विशेष महत्व है। इस शिक्षा का महत्व भी तभी माना जाता है जब विद्यार्थी शिक्षा अनुशासन में रहकर हासिल करें अनुशासन के द्वारा विद्यार्थी के जीवन का निर्माण होता है वह उसे समाज में उंचा स्थान दिलाने में मदद करता है।
अगर कोई छात्र अनुशासन का पालन नहीं करता तो वह कभी सफल नहीं हो पाता है अनुशासन का पालन करने वाला विद्यार्थी समय का सही पालन करता है , क्लास में अध्यापक द्वारा दिया गया कार्य सही समय पर करता है और वह अपने सभी कार्यों को उचित समय पर करने की कोशिश करता है।
अनुशासन का पालन करने वाले छात्र हमेशा परिक्षमी स्वभाव के होते हैं वह किसी भी टालमटोल नहीं करते हैं वह उससे भागते नहीं हैं वह आज का काम कल पर नहीं छोड़ते हैं इन्ही गुणों के चलते उन्हें समाज में एक नयी पहचान मिलती है।
किन्तु आजकल देखा जाता है के विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का स्तर काफी गिर गया है इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं जैसे आज की भाग दौड़ भरी जिन्दगी में बहुत से लोग व्यस्त जीवन जीते हैं जिस कारण माता-पिता अपने बच्चों को उचित समय नहीं दे पाते हैं। आजकल के कुछ छात्र अनुशासन तोडना अपनी शान समझते हैं , क्लास में न आना , अध्यापक का अपमान करना , पढाई की तरफ ध्यान न देना आदि आम सी बातें हो गयी हैं।
एक विद्यार्थी अनुशासन का पहला पाठ अपने घर परिवार से सीखता है दूसरा अपने स्कूल से। इसीलिए घर परिवार में इस तरह का माहौल होना चाहिए के बच्चे के अंदर किसी भी तरह की हीन भावना पैदा न हो सके ऐसा माहौल जिससे उन्हें अच्छे संस्कार मिलें और अध्यापकों को भी शिक्षा के इलावा विद्यार्थी की आदतों को सुधारने की तरफ पूरा ध्यान देना चाहिए जैसे उन्हें अनुशासन में रहना सिखाना जैसी बातें उनका भविष्य तय करती हैं।
यह कहना गलत नहीं होगा के अगर विद्यार्थी अनुशासन का सही पालन करेगा तभी हमारा राष्ट्र उन्नति करेगा क्योंकि किसी देश की उन्नति की नींव ही वहां के छात्र होते हैं।
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अनुशासन का पालन करने वाले छात्र हमेशा परिक्षमी स्वभाव के होते हैं वह किसी भी टालमटोल नहीं करते हैं वह उससे भागते नहीं हैं वह आज का काम कल पर नहीं छोड़ते हैं इन्ही गुणों के चलते उन्हें समाज में एक नयी पहचान मिलती है।
किन्तु आजकल देखा जाता है के विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का स्तर काफी गिर गया है इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं जैसे आज की भाग दौड़ भरी जिन्दगी में बहुत से लोग व्यस्त जीवन जीते हैं जिस कारण माता-पिता अपने बच्चों को उचित समय नहीं दे पाते हैं। आजकल के कुछ छात्र अनुशासन तोडना अपनी शान समझते हैं , क्लास में न आना , अध्यापक का अपमान करना , पढाई की तरफ ध्यान न देना आदि आम सी बातें हो गयी हैं।
एक विद्यार्थी अनुशासन का पहला पाठ अपने घर परिवार से सीखता है दूसरा अपने स्कूल से। इसीलिए घर परिवार में इस तरह का माहौल होना चाहिए के बच्चे के अंदर किसी भी तरह की हीन भावना पैदा न हो सके ऐसा माहौल जिससे उन्हें अच्छे संस्कार मिलें और अध्यापकों को भी शिक्षा के इलावा विद्यार्थी की आदतों को सुधारने की तरफ पूरा ध्यान देना चाहिए जैसे उन्हें अनुशासन में रहना सिखाना जैसी बातें उनका भविष्य तय करती हैं।
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