Essay on Summer Season in Hindi ग्रीष्म ऋतु पर निबंध
ग्रीष्म ऋतु - यह ऋतु जेठ-आसाढ़ में होती है। धरती तवे के समान तपने लगती है। चारों ओर गर्मी के कारण प्राणी व्याकुल हो जाते हैं। वे छाया की तलाश में दौड़ते हैं। पानी पीने से सबको चैन मिलता है। परन्तु पानी भी तपकर गर्म हो जाता है। तब बर्फ से ठण्डे पेयों का सहारा लेना पड़ता है।
बाहर लू चलती हैं। चिलबिलाती धूप में कौए की भी आँख निकलती हैं। धनी लोग बर्फ और खस की चिको तथा फ्रिज और कूलर की सहायता से गर्मी कम करने का प्रयत्न करते हैं।
वातानुकूलित (एयर कण्डीशण्ड) स्थानों पर चैन है, परन्तु वे इने-गिने लोगों को ही मिलते हैं। साधारण लोग ग्रीष्म ऋतु में त्राहि-त्राहि करते हैं। ठण्डे पेय शर्बत, बर्फ का पानी, फलों का रस आदि पीने से चैन मिलता है। परन्तु थोड़ी ही देर में फिर प्यास भड़क उठती है। कभी-कभी दिन-भर लू चलती हैं। रात को आँधी आ जाती है। इस प्रकार ग्रीष्म ऋतु सबको सताती प्रतीत होती है।
परन्तु ग्रीष्म के प्रभाव से हमारे खेतों में अनाज पकता है। बागों और वनों में फल पकते हैं। मनुष्य के शरीर में पसीना आने से शरीर के दोष बाहर निकल जाते हैं। स्नान का आनन्द भी ग्रीष्म ऋतु में ही है। पर्वत-यात्रा का आनन्द भी इसी मौसम में है । इस प्रकार ग्रीष्म ऋतु अपने साथ दुःख-सुख लेकर आती है।
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