Ladka Ladki Ek Saman Essay in Hindi
पुरुष और महिला समाज रुपी गाडी के दो पहिये हैं। एक के बिना दूसरे का जीवन अधूरा है। समाज के अच्छे विकास के लिए इन दोनों का होना जरूरी है। भारतीय संस्कृति में नारी को एक महत्वपूर्ण दर्जा दिया गया है। इसीलिए प्राचीन समय में नारी पुरुष के समान समझी जाती थी। आज़ादी की लड़ाई में भी महिलाओं ने पुरुषों के साथ बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था।किन्तु आज की स्थिति कुछ ऐसी है के लड़की के जन्म पर सोग मनाया जाता है और लड़के के जन्म पर खुशियां मनाई जाती हैं। भगवान ने लड़का -लड़की को समान रूप से बनाया है। भारत में पुरुष को कमाऊ , घर चलाने वाला तथा घर का मुखिया समझा जाता है और लड़की को घर का काम करने वाली और बच्चे पैदा करने वाली मशीन ऐसी घटिया सोच समाज को खोकला बनाती हैं
समय लगातार बदल रहा है यह युग प्रगति का युग है तेज़ी से बदलती दुनिया में मान्यताएं भी लगातार तेज़ी से बदल रही हैं। आज के समय में लड़कियां लड़कों से आगे निकल गयी हैं लड़कियां आज वो काम कर रही हैं जो लड़के करते हैं लड़कियां लड़कों वाला काम नहीं कर पाएंगी यह धारणाएं पूरी तरह बदल रही हैं समाज में लड़कियों के प्रति एक बड़ा बदलाव आ रहा है। आज के समय में लड़कियां डॉक्टर , अध्यापिका , वैज्ञानिक बन देश का नाम रोशन कर रही हैं।
देश के कुछ इलाके ऐसे भी हैं यहां एक लड़की को जन्म से ही बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है जन्म के बाद माँ -बाप उसे बोझ समझने लगते हैं उसे शिक्षित नहीं किया जाता उससे घर का काम सम्भालने के लिए कहा जाता है और जब लडकी की शादी होती है तो वो दुसरे परिवार में जाती है और ज्यादातर देखा जाता है के ससुराल घर में उसके साथ घरेलू हिंसा होती है उसका अपमान किया जाता है। किन्तु अगर देखा जाए तो लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लडकों से अब से पीछे नहीं है वे लडकों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहीं हैं। इसीलिए लड़का लडकी को एक ही नजरिये से देखना चाहिए इनमें भेद -भाव नहीं रखना चाहिए।
लड़का -लड़की में भेद -भाव रखना समाज का गलत दृष्टिकोण है आज भी कुछ ऐसी जगह हैं यहां पर लडकियों के साथ भेद -भाव किया जाता है और उन्हें जन्म के बाद ही मार दिया जाता है जो हमारे समाज पर एक कलंक है इसीलिए हमें ऐसी सोच को खत्म करना होगा और इस बुरी सोच को खत्म करने के लिए हमें इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
Ladka Ladki Ek Saman Essay in 400 Words
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