Manoranjan ke Sadhan essay in Hindi - मनोरंजन के साधन: खेलना, कूदना, संगीत सुनना, मुस्कराना, हँसना, हँसानाइससे जीवन में आनन्द भर जाता है । इनसे थकावट दूर होकर मनुष्य में ताजगी आ जाती है। फिर दूने उत्साह से मनुष्य काम में लग जाता है। ऐसा देखा गया है कि खेलने-कूदने वालों का मन खिल जाता है। उनमें बुरे विचार नहीं आते। जो लगातार काम में ही लगा हुआ नजर आता है, हो सकता है कि वह काम का दिखावा ही कर रहा हो।
हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट, कबड्डी, खो-खो, लम्बी दौड़, साइकल दौड़, सैर, तैराकी, पहाड़ की सैर, संगीत, नृत्य, कविता-पाठ, कवि दरबार आदि मनोरंजन के कई उपाय हैं। जीवन में दिलबहलाव या मनोरंजन की बड़ी कीमत है। इससे आदमी बेसुरा नहीं होता। उसकी सेहत अच्छी रहती है। वह अड़ियल नहीं बनता। उसमें भाई-चारे की भावना बढ़ती है। उसमें सहन-. शीलता आती है और अपने काम में उसका मन खूब लगता है।
भगवान कृष्ण ने गीता में सबसे अच्छा काम करने वाले मनुष्य की सबसे पहली निशानी यह बतायी कि वह प्रसन्न मन वाला (वृक्षदिल) होता है। ऐसा मनुष्य ही कठिनाइयों में भी - प्रसन्न रहकर अपना काम करता चला जाता है। ग्वेन कुमिगत नामक लेखक का कहना है-"अपना काम करते-करते किसी तरह की कठिनाई आ पड़ने पर-अकेले होते हुए भी यदि आप शान्त और स्थिर रहते हैं, तो आप एक अच्छे कार्यकर्ता है।"
प्रसन्न मन वाला मनुष्य भाई-बहन की खुशी में खुश होता है। यही नहीं, वह अपने पड़ोसियों के जलसों में भी खुशी से शामिल होता है। वह त्योहारों और मेलों को खुशी से मनाता है। वह खिलाड़ी की भावना से दूसरों के दोष क्षमा कर देता है। वह समाज और देश के बड़े-बड़े कामों में चाव से और बड़े शौक से हिस्सा लेता है। वह मनहूस चेहरा और बुझा हुआ मन लेकर दूसरों के सामने नहीं आता।
उसे जो कोई देखता है, उसे प्रसन्नता मिलती है। दुविधा और उलझन में वह जल्दी ही रास्ता निकाल लेता है। वह किसी काम को बोझ समझकर नहीं, बल्कि खुशी-खुशी करता है। उसकी हँसी से फूल झरते है। वह दूसरों को ऊँचा उठाने में सहायता करता है। वह डवतों को किनारे लगाता है।
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