मेरा प्रिय कवि - हिंदी साहित्य एक से बढ़कर एक कवियों का भंडार है किन्तु गोस्वामी तुलसीदास जी मेरे सबसे प्रिय कवियों में से एक हैं। उनकी लिखी हुई कवितायों को पढ़कर मुझे बहुत आनंद और प्रेरणा मिलती है।
तुलसीदास जी का जन्म 1532 ई: में हुआ था तुलसीदास जी के जन्म स्थान और माता पिता के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिलती किन्तु कुछ प्रमाणों के मुताबिक उनके माता का हुलसी और पिता का नाम आत्माराम दुबे था।
तुलसीदास जी को बचपन से ही अनेक कष्टों का सामना करना पड़ा उन्हें छोटी उम्र में ही अपने माता -पिता से दूर रहकर जीना पड़ा था उनका पालन एक दासी के द्वारा किया गया वह भीख मांगकर अपना गुजारा किया करते थे। उनकी शादी रत्नावली से हुई थी। बचपन में हर समय मुख से राम निकलने की वजय से उनका नाम ‘राम बोला’ रख दिया गया था।
उनके गुरु जी का नाम नरहरी था जिनके पास तुलसीदास जी ने 15 वर्षों तक ज्ञान की प्राप्ति की। तुलसीदास जी ने अपने जीवन में अनेक तीर्थस्थलों की यात्रा की जैसे अयोध्या , चित्रकूट , काशी आदि। वह लम्बे वक्त तक राम गुणगान में डूबे रहते थे। उनका देहांत सन 1623 ई: में हुआ था।
तुलसीदास जी ने अपने जीवन में अनेक रचनाएं लिखी जैसे रामचरित्रमानस , जानकी मंगल ,पार्वती मंगल ,दोहावली , कवितावली वैराग्य संदीपनी आदि। रामचरित्रमानस तुलसीदास जी की प्रसिद्ध कविताओं में से एक है। इसमें उन्होंने राम के पूरे जीवन की झांकी को प्रस्तुत किया है। इसके इलावा विनय पात्रिका में उन्होंने अपनी भक्ति की भावना को प्रदर्शित किया है।
वक्य ही तुलसीदास जी का जीवन प्रेरणादायक रचनाओं का भंडार है इसीलिए उन्हें हिंदी साहित्य का सूर्य भी कहा जाता है। उन्होंने समाज और साहित्य की सेवा करने में एक महत्वपूर्ण योगदान अदा किया। तुलसीदास जी की रचनाओं में वाक्य ही मधुरता की मिठास झलकती है।
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तुलसीदास जी का जन्म 1532 ई: में हुआ था तुलसीदास जी के जन्म स्थान और माता पिता के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिलती किन्तु कुछ प्रमाणों के मुताबिक उनके माता का हुलसी और पिता का नाम आत्माराम दुबे था।
तुलसीदास जी को बचपन से ही अनेक कष्टों का सामना करना पड़ा उन्हें छोटी उम्र में ही अपने माता -पिता से दूर रहकर जीना पड़ा था उनका पालन एक दासी के द्वारा किया गया वह भीख मांगकर अपना गुजारा किया करते थे। उनकी शादी रत्नावली से हुई थी। बचपन में हर समय मुख से राम निकलने की वजय से उनका नाम ‘राम बोला’ रख दिया गया था।
उनके गुरु जी का नाम नरहरी था जिनके पास तुलसीदास जी ने 15 वर्षों तक ज्ञान की प्राप्ति की। तुलसीदास जी ने अपने जीवन में अनेक तीर्थस्थलों की यात्रा की जैसे अयोध्या , चित्रकूट , काशी आदि। वह लम्बे वक्त तक राम गुणगान में डूबे रहते थे। उनका देहांत सन 1623 ई: में हुआ था।
तुलसीदास जी ने अपने जीवन में अनेक रचनाएं लिखी जैसे रामचरित्रमानस , जानकी मंगल ,पार्वती मंगल ,दोहावली , कवितावली वैराग्य संदीपनी आदि। रामचरित्रमानस तुलसीदास जी की प्रसिद्ध कविताओं में से एक है। इसमें उन्होंने राम के पूरे जीवन की झांकी को प्रस्तुत किया है। इसके इलावा विनय पात्रिका में उन्होंने अपनी भक्ति की भावना को प्रदर्शित किया है।
वक्य ही तुलसीदास जी का जीवन प्रेरणादायक रचनाओं का भंडार है इसीलिए उन्हें हिंदी साहित्य का सूर्य भी कहा जाता है। उन्होंने समाज और साहित्य की सेवा करने में एक महत्वपूर्ण योगदान अदा किया। तुलसीदास जी की रचनाओं में वाक्य ही मधुरता की मिठास झलकती है।
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