मेरे प्यारे दादाजी
अनोखा है यह रिश्ता
अजीब यह बंधन
दादा के चरण स्पर्श
सार्थक है जह जीवन
संघर्ष की परिभाषा।
सीखी है उनसे
धैर्य साहस और परीक्षण की
मिसाल बह देते
हौसले उनके बुलंद ऐसे
जो उम्र के मोहताज नहीं
मेहनत करने की जिद से
वह आते कभी बाज नहीं
कठोर है उनका व्यक्तित्व
पर दिल कि आप सच्चे हो
प्यारे हो आप दादा आप ही सबसे अच्छे हो
मेरे दुख से आंखें उनकी नम हो जाती
मेरी खुशी से उनके
चेहरे पर मुस्कान है छाती
कैसा है यह दिलों का रिश्ता
यह मैं ना जानू
मैं भगवान आपको है मानो
बचपन की वह यादें
जब दादा कहानी सुनाते थे
हम सब उन कहानियों से
कुछ अच्छा सीख पाते थे
सुब्रत नन्द
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