Short Essay on Corruption in Hindi : Bhrashtachar par nibandh
सम्पूर्ण भारत में भ्रष्टाचार का बोलबाला है भ्रष्टाचार का अर्थ है ऐसा आचरण जो किसी भी तरह से उचित न हो। जीवन के हर क्षेत्र में कोई भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है। हमारे जीवन की मुश्किलें और भारत की बड़ी बड़ी समस्याओं का जिम्मेदार भ्रष्टाचार ही है। यह एक ऐसा जहर है जो लोग अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करते हैं और पूरे समाज को ख़राब करते हैं।भ्रष्टाचार के लालच में आकर लोग अपनी संस्कृति को भूल रहे हैं उनमें त्याग की भावना समाप्त होती जा रही है। भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें पूरे समाज में फैला रखीं हैं। भारत की स्वतंत्रता के बाद भारत ने केवल दो प्रकार से प्रगति की है पहली जनसंख्या और दूसरी भ्रष्टाचार की। जनसंख्या के बढने से बेकारी और गरीबी की समस्या पैदा हो रही है।
Article on Corruption in Hindi Language
भ्रष्टाचार कई प्रकार का होता है रिश्वत लेना , चोरी करना आदि हैं भ्रष्टाचार लगभग सभी क्षेत्रों में फ़ैल चुका है इसके फैलने के कई कारण होते हैं जैसे असंतोष , असामनता और स्वार्थ आदि भ्रष्टाचार की वजय से इंसान का विकास और साथ ही साथ देश की उन्नति भी रुक जाती है। भ्रष्टाचार के पैदा होने का मुख्य कारण मनुष्य के अधिक धन कमाने के लालच ने इसे बढ़ावा दिया है। सुख सुविधाओं के लालच में आकर इंसान भ्रष्टाचार का शिकार हो जाता है।सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठा रही है ताकि इस समाजिक कलंक को दूर किया जाए पर सरकार के साथ आम जनता को भी इसे खत्म करने के लिए आगे आना होगा तभी इस बुराई को खत्म किया जा सकता है।
_____________________________________________
भ्रष्टाचार पर निबंध - 500 Words Essay on Corruption
भ्रष्टाचार आज के समाज का एक कलंकित रोग बन चुका है इस रोग से पूरी दुनिया प्रभावित है खासकर भारत में तो यह आग की तरह फ़ैल चूका है। आचरण का भ्रष्ट हो जाना ही भ्रष्टाचार कहलाता है। भ्रष्टाचार कैंसर की तरह हमारे देश के स्वास्थ्य को पूरी तरह खोकला कर रहा है यह तो आतंकवाद से भी बड़ा खतरा बन चुका है।जह आम सी बात है के कोई भी व्यक्ति किसी भी कार्य को कम से कम कष्ट उठाकर और कम समय में पूरा कर लेना चाहता है जिसके लिए वह छोटा रास्ता चुनने की कोशिश करता है। इसके लिए भी 2 रास्तों का चायन किया जा सकता है पहला नैतिकता का रास्ता जो लम्बा और कठोर परिक्षम का रास्ता होता है दूसरा रास्ता छोटा रास्ता होता है जिसे अनैतिकता का रास्ता कहा जाता है दुसरे रास्ते को ज्यादातर लोग चुनते हैं जो भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।
कई ऐसे हालात बन जाते हैं जब मनुष्य को भ्रष्टाचार अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ता है जब मनुष्य अपनी उम्मीद से भी ज्यादा इच्छाएं रखता है जब वो अपनी इन्ही इच्छाओं को सीधे रास्ते से पूरा करने में असमर्थ रहता है तो इससे वह गलत रास्तों को चुनता है वह लालच में आकर भ्रष्टाचार का सहारा लेता है।
पहले छोटे छोटे घोटाले हुआ करते थे किन्तु आज तो करोड़ों रुपयों के घोटाले होना आम सी बात हो गयी है न्यायिक प्रणाली भी इस बिमारी से नहीं बच पाई है एक इंसान न्याय पाने की उम्मीद में अपना सारा धन और अपनी सारी उम्र तक गंवा देता है किन्तु फिर भी इस बात की कोई गरंटी नहीं होती के उसे इंसाफ मिलेगा जा नहीं न्याय में मिलने वाली देरी भ्रष्टाचार का कारण हैं।
भ्रष्टाचार को तब तक खत्म नहीं किया जा सकता है जब तक लोगों का ईमान नहीं जाएगा। आज देश का हर क्षेत्र भ्रष्टाचार से छूता नहीं है यहां तक के एक बच्चे को स्कूल में दाखिला दिलवाने के लिए डोनेशन के नाम पर बड़ी रकम वसूली जाती है। इसके इलावा ज्यादातर सरकारी कर्मचारी भी पैसे लिए बिना बात तक नहीं करते हैं। राजनीति तो इनती ज्यादा भ्रष्ट हो चुकी है के राजनीति के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। भ्रष्टाचार तो एक कोढ़ की तरह फैलता ही जा रहा है।
इसीलिए भ्रष्टाचार के नासूर को खत्म करना बेहद जरूरी हो गया है क्योंकि यह दिनभर दिन देश की जड़ों को खोकला करता जा रहा है इसके लिए देश की सरकार को सख्त कानून बनाने चाहिए जिसके लिए कोई भी व्यक्ति भ्रष्टाचार लेने से पहले 10 वार सोचे जरूर। शिक्षा में नैतिकता को लाकर भ्रष्टाचार पर लगाम लायी जा सकती है। इसके इलावा विदेशी बैंकों में जमा काला धन यदि वापिस लाया जाए तो भ्रष्टाचार पर काफी हद्द तक लगाम लगाई जा सकती है।
भ्रष्टाचार को लेकर सबसे बड़ी समस्या तो यह के हम भ्रष्टाचार के विरोध में नारे तो लगाते रहते हैं किन्तु हम खुद ही भ्रष्टाचार का सहारा लेना नहीं छोड़ते इसके लिए हमें सबसे प्रथम खुद को बदलना होगा फिर हम दूसरों से उम्मीद कर सकते हैं।
अन्य लेख -
0 comments: